
उस दिन में सुबह जल्दी जाग गया। उस समय लगभग भोर के साढे चार बजे होंगे। मन में अजीब-सी बेचैनी थी। खिड़की से देखा तो चारों तरफ घुप्प अंधेरा छाया हुआ था, शायद मुहल्ले की बिजली चली गयी थी। मन में थोड़ा संतोष हुआ कि चलो मेरे घर में इनवर्टर लगा है। पिताजी आराम से सो रहे होंगे।